यहाँ दर्द के साये में भी खुशियों की महफ़िल सजाई जाती है। यहाँ दर्द के साये में भी खुशियों की महफ़िल सजाई जाती है।
पहले उपर वाला किताब लेकर बैठता था इसलिए हिसाब अगले जन्म में होता था। पहले उपर वाला किताब लेकर बैठता था इसलिए हिसाब अगले जन्म में होता था।
आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये
सब मेरे जैसे हैं, ये सब को पता होगा। सब मेरे जैसे हैं, ये सब को पता होगा।
श्रम के आगे सब झुकते हैं कर्म योद्धा कब रुकते हैं जो श्रम सीकर, हैं बहाते वहीं कर्मव श्रम के आगे सब झुकते हैं कर्म योद्धा कब रुकते हैं जो श्रम सीकर, हैं बहाते ...
चलो सजाए धरती माँँ को, हम अपने बलिदान से। हम बच्चे हिंदुस्तान के। चलो सजाए धरती माँँ को, हम अपने बलिदान से। हम बच्चे हिंदुस्तान के।